मानसिक स्वतंत्रता और स्वाधीन विचार की
आवश्यकता बाह्य स्वतंत्रता से कहीं अधिक
आवश्यक है। अपने प्राचीन इतिहास को अपना कर,
अपनी मातृभाषा का प्रचार कर अपने जातीय चाल,
ढाल, व्यवहार, सदाचार को जीवित रखना राष्ट्रीय
अस्तित्व के लिए अनिवार्य है।
राजर्षि पुरुषोत्तम दास टण्डन